शराब पीकर मरने वालों को सरकार देती है दस-दस लाख का इनाम!

बिहार सरकार की इसी रवैया के कारण आज तक कोई दूसरा वशिष्ठ नारायण सिंह नहीं बन पाया, नहीं आगे कोई बन पाएगा। क्योंकि सरकार शराब पीने वालों को इनाम देती है, मुआवजा देती है।


शराब पीकर मरने वालों को सरकार देती है दस-दस लाख का इनाम!


बिहार सचमुच एक अजूबा राज्य है, जहां  कला, संस्कृति, साहित्य और भाषा सभी क्षेत्र में बिहार और बिहारियों ने अपना दम दिखाया है। सीता से लेकर बुद्ध और गुरु गोविंद सिंह से लेकर महावीर सभी इसी बिहार की भूमि पर फले-फुले और आगे बढ़े, लेकिन बिहार का स्वर्णिम युग ना जाने किस काल कोठरी में बंद पड़ा है और किसके कलुषित श्राप से आज पूरा बिहार श्रापित है।

 जहां बिहार के ही बेटे और भारत और विश्व के बहुत बड़े गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह सरकार की अनदेखी के कारण असमय परलोक सिधार गए। जहां रोज, बलात्कार, डकैती और चोरी की घटनाएं घटित होती हैं और आम जनमानस में सामान्य बात हो गई हैं। वहां पर शासन तंत्र से उम्मीद भी क्या किया जा सकता है। 

बिहार में शराबबंदी का बुरा हाल

मुख्यमंत्री ने बहुत ही जोश और उमंग से इन सभी अपराध की जननी शराब को बताया था और पूरे जोर-शोर से शराबबंदी को पूरे बिहार में लागू भी किया गया था और ऐसे कड़े नियम भी बनाए गए थे, जिससे शराब पीना तो दूर पीना है पीने की सोचने वाले भी थर-थर कांपने लगे। मगर मुख्यमंत्री यह भूल गए हैं यह बिहार है और बिहारी कभी किसी के बंधन में नहीं रहे है, जो उनका मन करता है, बिहार और बिहारी वही करते हैं। 

अब बात करते हैं आज के मुद्दे की तो बहुत दिनों से एक मुद्दा गरमाया हुआ है कि मुख्यमंत्री के गृह जिले नालंदा में शराब पीने से कुछ लोगों की मृत्यु हो गई और राजनीतिक और मीडिया जगत में भूचाल सा आ गया।

 नालंदा तो वैसे भी खबरों में बना ही रहता है। जहां स्वास्थ्य विभाग और सरकार की अनदेखी से रोज कई बच्चे अस्पताल में ही अपना दम तोड़ देते हैं, तो कई बुजुर्ग अपने वृद्धा पेंशन की आस देखते देखते ही राम को प्यारे हो जाते हैं। उसी क्षेत्र में जहां पर शिक्षा और स्वास्थ्य सरकारी अनदेखी और वित्तीय सहायता के बगैर हाशिए पर है। जहां के 40% बच्चे दूसरे राज्यों में पढ़ते हो, जहां के सामान्य जन इलाज करवाने के लिए दिल्ली और बेंगलुरु जाते हो, जहां के लोग नोएडा और गुड़गांव जाते हो काम करने के लिये, वहां एक बहुत मजेदार चीज भी घटित हुई।

 आपको आश्चर्य होगा जानकर कि क्योंकि यह घटना मुख्यमंत्री के गृह जिले का था और राजनीतिक सरगर्मियां के बीच मीडिया ट्रायल और बयान बाजी भी होने लगी तो मुख्यमंत्री ने उस मुद्दे से अपना पल्ला झाड़ते हुए सभी पीड़ितों को 10-10 लाख मुआवजा घोषित कर, इस मामले को शांत करने की कोशिश की। मगर हास्यास्पद यह है कि बिहार एक पहला ऐसा राज्य है जहां शराब पीकर मरने पर इनाम दिया जाता है। 

क्या वह लोग भारत के बॉर्डर पर शहीद होकर आए थे? या उन्होंने आतंकवादियों से लोहा लिया था ? या कि वह करोना में इलाज कर रहे डॉक्टरों के जैसे शहीद हुए थे? यह तो साफ है कि वह असामाजिक तत्व थे, जो कि इतनी कठिनाइयों के बाद भी शराब का सेवन कर रहे थे। तो इस पर बजाय कि उन पर कार्यवाही हो उनके परिजनों को मुआवजा देकर उनके रुदन को शांत कर दिया गया। जबकि निष्पक्ष जांच कराकर दोषियों पर करवाई करना चाहिए और मुआवजे को किसी सार्थक कार्य के लिए खर्च करना चाहिए।

 बिहार सरकार की इसी रवैया के कारण आज तक कोई दूसरा वशिष्ठ नारायण सिंह नहीं बन पाया, नहीं आगे कोई बन पाएगा। क्योंकि सरकार शराब पीने वालों को इनाम देती है, मुआवजा देती है। समाज में जो अच्छे कार्यों के लिए प्रसिद्ध हैं उनके लिए सरकार के पास कुछ नहीं है और जो समाज को कुछ देना चाहते हैं सरकार का उनसे कोई मतलब नहीं है।

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