मिथिला की अपनी एक अलग संस्कृति और एक अलग भाषा है. मिथिला हमेशा से एक अलग राज्य रहा है. यही वो भूमि है जिसने पूरे विश्व को वैशाली के जरिए डेमोक्रेसी का पाठ पढ़ाया, हम चाहते हैं कि मिथिला एक अलग स्टेट बने,
मिथिला स्टेट की मांग बहुत पुरानी है. बोले तो आजादी से भी पहले की. 1912 में जब बिहार बंगाल प्रोविंस से निकल कर एक अलग स्टेट बना. उसी समय से एक अलग मिथिला स्टेट की मांग शुरू हो गई थी. तब से लेकर अब तक बिहार राज्य से निकलकर 1936 में #ओडिशा और 2000 में #झारखंड अलग राज्य बन चुके हैं. वहीं दूसरी तरफ अलग #मिथिला_राज्य की मांग चलती रही. मिथिला राज्य के एक्टिविस्ट दो मांगों को लेकर प्रोटेस्ट करते रहे. पहली मांग थी, ‘मिथिला के नाम से एक अलग मिथिला राज्य बनाना. और दूसरी मांग मैथिली भाषा को भारत सरकार की आठवीं अनुसूची में शामिल करना. झारखंड के अलग राज्य बनाने के बाद से ये मांगें और भी तेज हो गईं.
ताराकांत झा और दूसरे मैथिल एक्टिविस्ट ने इन मांगों को लेकर आंदोलन तेज कर दिये थे तभी जाकर, अटल बिहारी वाजपयी जी की सरकार ने 2002 में मैथिली को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कर दिये तब से इन एक्टिविस्ट का सिंगल पॉइंट एजेंडा है एक नए ‘मिथिला राज्य को बनाना खास कर तेलंगाना राज्य बनने के बाद से मिथिला क्षेत्र में ऐसे संगठन विस्फोटक तरीके से बनने लगे हैं।पर इस बार युवा लड़के और लड़कियों ने मोर्चा खोला है.
मिथिला की अपनी एक अलग संस्कृति और एक अलग भाषा है. मिथिला हमेशा से एक अलग राज्य रहा है. यही वो भूमि है जिसने पूरे विश्व को वैशाली के जरिए डेमोक्रेसी का पाठ पढ़ाया, हम चाहते हैं कि मिथिला एक अलग स्टेट बने, जिससे उसका विकास हो. सभी धर्म, अभी जाति और अभी जिले के लोग एक साथ आ चुके हैं. बाढ़ मिथिला की सबसे बड़ी प्रॉब्लम है. आजादी से पहले ही ‘लोर्ड वेवेल’ ने इसके लिए खास प्रोजेक्ट तैयार किया था. कोसी के बाराह इलाके में हाई डैम बनाना था. इससे मिथिलांचल बाढ़ की तबाही से बचता. लेकिन आजादी के बाद बिहार सरकार ने बहाने बनाकर इस प्रोजेक्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया. अगर इन प्रोजेक्ट्स पर ढंग से काम हो और कोसी नदी पर हाइड्रो पॉवर प्लांट्स लगाएं जाएं तो इससे इतनी एनर्जी जेनरेट होगी कि बिहार और मिथिला ही नहीं पूरे भारत को जगमगाया जा सकता है।हम युवा हैं और इतिहास गवाह है कि जीत हमेशा युवाओं की ही हुई है।
जय मिथिला