सरकार कोई सी भी हो, कुर्सी पर सिर्फ और सिर्फ नीतीश कुमार ही रहेंगे। नीतीश कुमार की यही पलटू राम की नियति आज उन्हें बिहार और देश की राजनीति में लोगों की नजरों से गिरा दिया है।
Bihar: जैसा कि सभी जानते हैं, बिहार की राजनीति पूरे देश की राजनीति को प्रभावित करती है और एक दशा और दिशा दिखाने का काम करती है। बिहार अभी राजनीतिक उठापटक की स्थिति से गुजर रहा है। इसके मध्य में पुनः बिहार के 7 बार के रह चुके मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही है। अब उन्होंने यह आरोप लगाते हुए कि भाजपा उनके पार्टी के सदस्यों को तोड़ रही है, उससे गठबंधन तोड़ लिया। अब राजद और सात अन्य पार्टियों के साथ मिलकर बिहार में पुनः महागठबंधन की सरकार बनाने का ऐलान किया। संभवतः नीतीश कुमार महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के दावेदार होंगे। राज्यपाल से नीतीश कुमार ने मिलने का समय मांगा था, जिसके बाद 164 विधायकों का समर्थन पत्र राज्यपाल को सौंप कर, सरकार बनाने का दावा पेश किया।
इसी मध्य में भाजपा बिल्कुल खामोश हैं, और स्थितियों का मूल्यांकन कर रही है। नीतीश कुमार जिनकी राजनीति ही राजद और लालू प्रसाद का विरोध करने से शुरू हुई थी, वह अब पुनः राजद की ओर सत्ता के लिए बढ़ रहे हैं। 2017 में नीतीश कुमार ने राजद से यह कहकर अपना गठबंधन समाप्त कर लिया था कि तेजस्वी, तेजप्रताप, मिसा भारती और पूरे लालू परिवार के ऊपर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं और वह किसी के साथ समझौता कर सकते हैं लेकिन एक भ्रष्टाचारी के साथ नहीं। परंतु अब शायद भ्रष्टाचारी का साथ लेना उनको पसंद आ रहा है। वैसे ही तेजस्वी और तेजप्रताप जो कि सुबह-शाम नीतीश कुमार को पानी पी पीकर कोसते थे, आज वह पुनः चाचा के साथ सरकार बनाने के लिए तैयार हैं। तेजस्वी ने रेड कारपेट बिछाकर नीतीश कुमार का स्वागत किया है। इन सबके बीच बिहार की भोली-भाली जनता अबाक है क्योंकि इतनी राजनीतिक उथल-पुथल पूरे देश में नहीं है जितनी बिहार में। जो जिसके साथ चुनाव लड़ता है वो उससे गठबंधन तोड़ कर दूसरे का साथ चला जाता है, फिर उसके साथ गठबंधन तोड़ कर फिर उसी के पास वापस आ जाता है। यही खेल चल रहा है आज बिहार में।
सरकार कोई सी भी हो, कुर्सी पर सिर्फ और सिर्फ नीतीश कुमार ही रहेंगे। वैसे नीतीश कुमार ने बिहार को कुछ खास दिया नहीं है, कानून व्यवस्था की बात कही जा सकती है, लेकिन उसके अलावा कुछ भी ऐसा बिहार के लिए नहीं किया जिससे बिहार की हालत सुधर सके। अब तो नीतीश बाबू जंगल राज के नायक लालू प्रसाद की पार्टी में के साथ गठबंधन कर रहे हैं तो बिहार में जंगलराज की बहार होना तो लाजिम है। नीतीश कुमार विपक्ष के प्रधानमंत्री के चेहरे के रूप में खुद को देख रहे हैं। इस वजह से उन्होंने भाजपा का साथ छोड़ा और कई वजहे और भी हैं क्योंकि नीतीश कुमार एक अति महत्वकांक्षी नेता हैं। वह हर वक्त बस सत्ता में बने रहना चाहते हैं। सत्ता पक्ष और विपक्ष बदलते रहते हैं,लेकिन नहीं बदलता है तो मुख्यमंत्री और बिहार की हालत।